Tuesday, July 21, 2015

वो दो बहिनें इक घर में ही ब्याहीं,संतानें हुईं तो बेटे ससुराल वाले कहते की हमारे खानदान में बेटियां पैदा ही नहीं होती.हालातों से समझोता करती रहीं क्योंकि 6 बहिनों के बूढ़े बाप का चेहरा आँखों के सामने होता जिस बाप ने अपनी पगड़ी तक उतार के ससुराली जनों के पेरों में रख दी थी क्योकि लाचार और बेबस था.पर आखिर कब तक ........मच्छर मरने की दवा तक मुह में उड़ेल दी तो इलाज भी बाप ने जेसे-तेसे कराया पर बेटी दिमाग से कमजोर हो गयी.परसों उन्हीं दोनों बहिनों को जब रात में 10 बजे मारपीट कर घर से निकला तो कानून के रखवालो की शरण में कोतवाली पहुंची पर वहां भी दुत्कार उलटे नसीहत की इतनी रात में..........जेसे-तेसे रात कटी अल सुबह कनक धारा के दरवाजे पर,इतनी सुंदर पर बेबस बेटियां .........पूछा बच्चे भी छीन लिए इक बच्चा तो 8 महीने का हे.बोली कहाँ जाएँ पिता को फोन किया तो आँखों में आंसू भर आये बोली दीदी हम कब तक अपने बूढ़े बाप को कष्ट देते रहेगे.पर पिता का दिल फोन पर ही फफक पड़े मेरी बेटियों को मेडम जी संभालो में पहुंचता हूँ.पर आखिर कब तक ?कब तलक बेटियां और बहुएं ऐसे ही विलखती रहेगीं.समाज.कानून और ??????????कोर्ट -कचहरी, समाज और अपनों के ताने,समाज में बेटी-बहुओं को सम्मानऔर आत्म-निर्भरता की जिन्दगी केसे मिले.कनक धारा [काली] के इस प्रयास में आप सभी के विचार एवं सहयोग की अपेक्षा करती हूँ .


Friday, July 17, 2015

माँ,आप ममता मयी माँ ही नहीं इक बहादुर महिला भी हें,असहाय,निराश्रितों के लिए यदि आप करुना मयी हें तो बेटियों के सम्मान की रक्षा के लिए आप दुष्टों से मुकाबले के लिए हर पल तेयार रहती हें,बीते कल की घटना ने इक बार फिर साबित क्र दिया हे की आप ............. —.


वो दर्द से चीख रही थी,लोगों की नजरों का सामना कर रही थी.वो माता ही कुमाता हो गयी थी जिसने अपनी कोख की जनी कोइस हाल में पहुंचा दिया.आजसुबह जब अखवारों में जिला अस्पताल में इक मासूम से दरिंदगी कीघटना पढ़ी तो अपने को रोक न सकी.सुबह 9बजे पहुंची तो .........................डॉक्टरी मुआयने के लिए जब ले जाया गया तो में साथ थी.वो यही रट लगाये थी.कि मुझे यहाँ से ले चलो.दुलार से जब सिर पर हाथ फेरा तो मुस्कराने लगी मैने पूछा कि स्कूल पढ़ने जाओगी तो-बोली आप भेजोगी मुझे स्कूल.मेरे मोबाईल को हाथ में लेकर बोली गाना सुनना हे.खानाखिलाने केबाद जब मैने मुंह साफ किया तो बोली आप मेरी अम्मा हें.हाँ इस सबके बीच कहीं फोटो नहीं ली क्योंकि येशायद मौका भी नहीं था.हाँ इतना जरुर सोचा हेकि इस बच्ची कोपढ़ा कर इकसामान्य जिन्दगी...............तभी शायद प्रधानमंत्री महोदय के "बेटीबचाओ-बेटी पढ़ाओ"अभियान कीसार्थकता सच्चे अर्थों में होगी Laxmi Gautam's photo.